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33 में सिर्फ 4 कलेक्टरों को चुनाव का अनुभव : छत्तीसगढ़ के 29 जिलों के कलेक्टरों को चुनाव का अनुभव नहीं, 8 जिलों के एसपी ही अनुभवी

33 में सिर्फ 4 कलेक्टरों को चुनाव का अनुभव : छत्तीसगढ़ के 29 जिलों के कलेक्टरों को चुनाव का अनुभव नहीं, 8 जिलों के एसपी ही अनुभवी
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By Manoj Vyas

रायपुर. छत्तीसगढ़ में अक्टूबर-नवंबर महीने में विधानसभा के चुनाव हैं. इसके लिए चुनाव आयोग ने तैयारी शुरू कर दी है. सोमवार को 33 जिलों के कलेक्टरोें को चुनाव की ट्रेनिंग दी गई. इसके बाद परीक्षा ली गई. दरअसल, ट्रेनिंग के बाद परीक्षा के जरिए चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करता है कि कलेक्टर व अन्य अधिकारी चुनाव कराने के लिए सक्षम हैं कि नहीं.

NPG.News ने जब जिलों में पदस्थ कलेक्टरों की लिस्ट की पड़ताल की तो यह बात सामने आई कि 33 जिलों में से सिर्फ चार के पास ही कलेक्टर के रूप में चुनाव कराने का अनुभव है. इनमें नरेंद्र कुमार दुग्गा, डॉ. प्रियंका शुक्ला, सौरभ कुमार और डोमन सिंह शामिल हैं. बाकी कलेक्टर चुनाव के दौरान अलग-अलग जिलों में अलग-अलग जिम्मेदारियों में पदस्थ तो थे, लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारी या उप जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में काम का अनुभव नहीं है. हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद बड़े पैमाने पर कलेक्टरों के तबादले हुए थे, जिन्होंने लोकसभा चुनाव कराया. इसी तरह 2018 के बाद पांच विधानसभा उपचुनाव भी हुए हैं, जिसमें तत्कालीन कलेक्टर जिला निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में पदस्थ रहे. जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान एक जिले में कई सीटें रहती हैं. उम्मीदवार भी ज्यादा रहते हैं, इसलिए चुनाव का अलग अनुभव होता है.

एसपी में देखें तो आठ अफसरों के पास चुनाव कराने का अनुभव है. ये सभी 2018 चुनाव के दौरान अलग-अलग जिलों में पदस्थ थे. इनमें डॉ. लाल उमेंद सिंह, इंदिरा कल्याण एलेसेला, संतोष सिंह, डॉ. अभिषेक पल्लव, अभिषेक मीणा, प्रशांत ठाकुर, सदानंद कुमार और एमआर अहिरे शामिल हैं.

आचार संहिता में कलेक्टर के पास पॉवर

विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के बाद कलेक्टर पॉवरफुल होते हैं. वे चुनाव आयोग के प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं. इस वजह से उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है. ऐसे समय में निष्पक्ष मतदान कराना बड़ी चुनौती भी होती है. राजनीतिक दलों का काफी दबाव होता है. चुनाव आयोग द्वारा ट्रेनिंग के जरिए यह बताया जाता है कि कलेक्टर के पास कौन-कौन से अधिकार हैं और राजनीतिक दलों की ओर से कोई भी बेजा दबाव आने पर क्या कार्रवाई कर सकते हैं.

आयोग सीधे हटा सकता है कलेक्टरों को

आचार संहिता लागू होने के बाद यदि कलेक्टर-एसपी या निर्वाचन से जुड़े किसी भी अधिकारी की कोई शिकायत मिलती है तो चुनाव आयोग सीधे उन्हें हटा सकता है. इसके लिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय की ओर से तीन नामों का पैनल भेजा जाता है, जिनमें से किसी एक को आयोग द्वारा संबंधित पद पर बैठाया जाता है. राज्य में पदस्थ अधिकारियोें द्वारा किसी तरह का पक्षपात न किया जाए इसलिए चुनाव आयोग द्वारा कई स्तर पर ऑब्जर्वर नियुक्त किए जाते हैं, जो दूसरे कैडर के आईएएस-आईपीएस होते हैं.

इस बार चुनाव में 6 जिले ज्यादा हो गए

2018 में जब विधानसभा के चुनाव हुए थे, तब 27 जिले थे. इनमें से 24 कलेक्टर और 23 एसपी ने पहली बार चुनाव कराया था. बस्तर संभाग के कलेक्टर और एसपी दोनों ही नए थे. इस बार पांच महिला कलेक्टर और तीन एसपी चुनाव कराएंगे. हालांकि चुनाव से पहले एक-दो जिलों के कलेक्टर-एसपी बदले जा सकते हैं. ऐसी स्थिति में कुछ नाम बदल सकते हैं. आगे पढ़ें वर्तमान में कौन हैं जिलों में कलेक्टर-एसपी...

कलेक्टरों की सूची

नरेंद्र दुग्गा (2008) - मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर

डॉ. प्रियंका शुक्ला (2009) - कांकेर

सौरभ कुमार (2009) - बिलासपुर

डोमन सिंह (2009) - राजनांदगांव

पदुम सिंह एल्मा (2010) - बेमेतरा

नीलेश कुमार क्षीरसागर (2011) - महासमुंद

चंदन कुमार (2011) - बलौदाबाजार

सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे (2011) - रायपुर

दीपक सोनी (2011) - कोंडागांव

संजीव झा (2011) - कोरबा

जन्मेजय महोबे (2011) - कवर्धा

रिमिजियुस एक्का (2011) - बलरामपुर रामानुजगंज

पुष्पेंद्र मीणा (2012) - दुर्ग

तारण प्रकाश सिन्हा (2012) - रायगढ़

संजय अग्रवाल (2012) - सूरजपुर

अजीत वसंत (2013) - नारायणपुर

विनीत नंदनवार (2013) - दंतेवाड़ा

राजेंद्र कुमार कटारा (2013) - बीजापुर

कुंदन कुमार (2014) - सरगुजा

ऋचा प्रकाश चौधरी (2014) - जांजगीर चांपा

कुलदीप शर्मा (2014) - बालोद

ऋतुराज रघुवंशी (2014) - धमतरी

एस. जयवर्धन (2014) - मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी

प्रभात मलिक (2015) - गरियाबंद

नुपुर राशि पन्ना (2015) - सक्ती

विजय दयाराम के. (2015) - बस्तर

हरीश एस. (2015) - सुकमा

रवि मित्तल (2016) - जशपुर

विनय कुमार लंगेह (2016) - कोरिया

प्रियंका ऋषि महोबिया (2016) - गौरेला पेंड्रा मरवाही

डॉ. फरिहा आलम (2016) - सारंगढ़ बिलाईगढ़

गोपाल वर्मा (2016) - खैरागढ़

एसपी की सूची

बलौदाबाजार - दीपक झा (2007)

रायपुर - प्रशांत अग्रवाल (2008)

गरियाबंद - अमित तुकाराम कांबले (2009)

धमतरी - प्रशांत ठाकुर ()

महासमुंद - धर्मेंद्र छावई ()

राजनांदगांव - अभिषेक मीणा (2010)

कवर्धा - डॉ. अभिषेक पल्लव (2013)

दुर्ग - शलभ सिन्हा (2014)

बेमेतरा - भावना गुप्ता (2014)

बालोद - जितेंद्र कुमार यादव (2018)

खैरागढ़ - अंकिता शर्मा (2018)

मोहला मानपुर चौकी - रत्ना सिंह (2019)

रायगढ़ - सदानंद कुमार (2010)

बिलासपुर - संतोष सिंह (2011)

जांजगीर चांपा - विजय अग्रवाल (2012)

सारंगढ़ बिलाईगढ़ - आशुतोष सिंह (2012)

मुंगेली - चंद्रमोहन सिंह (2014)

कोरबा - उदय किरण (2015)

सक्ती - एमआर अहिरे ()

गौरेला पेंड्रा मरवाही - योगेश पटेल (2018)

सरगुजा - सुनील शर्मा (2017)

सूरजपुर - आईके एलेसेला (2011)

बलरामपुर रामानुजगंज - डॉ. लाल उमेंद सिंह (2011)

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर - सिद्धार्थ तिवारी (2015)

कोरिया - त्रिलोक बंसल (2016)

जशपुर - डी. रविशंकर (2009)

बस्तर - जितेंद्र मीणा (2007)

कोंडागांव - येदुवेल्ली अक्षय कुमार (2018)

दंतेवाड़ा - गौरव रामप्रवेश राय (2019)

बीजापुर - आंजनेय वार्ष्णेय (2018)

सुकमा - चव्हाण किरण गंगाराम (2018)

कांकेर - दिव्यांग पटेल (2014)

नारायणपुर - पुष्कर शर्मा (2018)

Manoj Vyas

मनोज व्यास : छत्तीसगढ़ में 18 साल से पत्रकारिता में सक्रिय, सभी प्रमुख संस्थाओं में दी सेवाएं, इसी दौरान हरिभूमि समाचार पत्र से जुड़े। इसके बाद दैनिक भास्कर में सिटी रिपोर्टर के रूप में जॉइन किया। नौकरी के साथ-साथ गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय से एमएमसीजे की पढ़ाई पूरी की। न्यायधानी के बाद राजधानी का रुख किया। यहां फिर हरिभूमि से शुरुआत की और नेशनल लुक, पत्रिका, नवभारत, फिर दैनिक भास्कर होते हुए भविष्य की पत्रकारिता का हिस्सा बनने के लिए NPG.News में बतौर न्यूज एडिटर जॉइन किया। इस बीच नवभारत के भुवनेश्वर, ओडिशा एडिशन में एडिटोरियल इंचार्ज के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

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